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Fish Farming Business Plan: मछली पालन का व्यापार कैसे शुरू करें?

machli palan business kaise kare

Business Idea: आज के दौर में भारत में मछली पालन या “मतस्य पालन” करना काफी मुनाफ़ेवाला व्यापार हो गया है। बहुत से लोग इस बिजनेस से जुड़े हुए है और लाखो का मुनाफा कमा रहे हैं। भारत की लगभग 60 प्रतिशत आबादी मछली का सेवन करती है और सालाना प्रति व्यक्ति मछली की खपत करीब 8-9 किलोग्राम तक है। इस कारण से इसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है और साल दर साल इसके बढ़ने की ही उम्मीद है।

अगर आप भी कम लागत में मछली पालन शुरू करना चाहते हैं तो आप इसे छोटे टैंक या फिर एक तालाब से शुरू कर सकते है और महीने में लाखों रुपए तक की कमाई कर सकते है।

चलिए देखते है कम निवेश में ज़्यादा लाभ बनाने वाली मछली फार्मिंग (Fish farming) कैसे शुरू करें

मछली पालन की तकनीक

मछली पालन मुख्यतः 3 तरीके से की जाती है।

  1. तालाब में मछली पालन
  2. बायोफ्लॉक टैंक
  3. RAS प्रणाली

तालाब में मछली पालन (Earthen fishpond)

आपने कभी न कभी गांव या कस्बे में छोटे-छोटे मछली पालन किये जाने वाले कृत्रिम तालाब अवश्य ही देखे होंगे। यह मछली पालन करने की सबसे पुरानी और परंपरागत विधि है, जिससे लोग अपना जीवन यापन करते है।

अगर आपके पास ज़मीन की कमी नहीं है या फिर आप गांव में रहते है और आपके पास काफी खाली ज़मीं उपलब्ध है, तो इस तरीके से आप मछली पालन शुरू कर सकते हैं।

इस प्रकार के तालाब को बनाने के लिए आपको खेत की आवश्यकता पड़ेगी। उसे खोदकर एक कृत्रिम तालाब बनाना होगा, जिसके बाद उसमें गोबर का उपचार और चूना इत्यादि डालकर पानी भरना होगा। तालाब की गहराई कमसेकम 6 फुट होनी आवश्यक है और तालाब में पानी का स्तर लगभग 4.5 फुट से लेकर 5 फुट तक होनी चाहिए, अगर इससे कम पानी का स्तर रहा तो मछली की वृद्धि में असर पड़ेगा।

तालाब का मुख पूर्व से पश्चिम की ओर होना चाहिए, मतलब लम्बाई पूर्व से पश्चिम दिशा में होना चाहिए और चौड़ाई उत्तर-दक्षिण दिशा में।

इस तरह के तालाब को बनाने का खर्च, मछली के बीज, मछली का खाना, दवा और रखरखाव में लगभग 10 लाख से लेकर 12 लाख रुपए तक का खर्च आता है। यहाँ पर हमने लगभग 1 हेक्टेयर (2.47 एकड़) ज़मीन के ऊपर आकलन किया है। ये आंकड़ा आपको ज़रूर ज़्यादा लग रहा होगा, मगर यह सिर्फ एक बार का निवेश है इसके बाद आपको इस बिजनेस से मुनाफा ही होगा।

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बायोफ्लॉक टैंक (Biofloc tank)

बायोफ्लॉक तकनीक को 1990 के दशक में विकसित किया गया था। जिसका मकसद कम फीड देकर और अपशिष्ट जल का फिर से उपयोग कर मछली पालन करना था। यह तकनीक भारत में भी काफी प्रचलित है और बहुत से किसान इस तकनीक का उपयोग कर मछली पालन कर रहें है।

बायोफ्लॉक टैंक मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं – पीवीसी टैंक/ तारपोलीन टैंक और सीमेंट टैंक

पीवीसी टैंक/तारपोलीन टैंक: इस प्रकार के टैंक आपको बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं जिनकी कीमत 20,000 रुपए से शुरू होती है। अगर आप इस बिजनेस में बिलकुल नए हैं तो 10,000 लीटर की क्षमता वाले बायोफ्लॉक फिश फार्मिंग टैंक के साथ शुरुआत करें, इसकी कीमत लगभग आपको 12,000 से 15,000 रूपए के बीच पड़ेगी। इस टैंक में आप 600-700 किलोग्राम मछली का उत्पादन कर सकते हैं।

टैंक लेने से पहले तारपोलिन का GSM ज़रूर जाँच कर लें, हमेशा उच्च गुणवत्ता वाले टैंक पर निवेश करें। एक अच्छे टैंक का GSM 500 से ऊपर होता है, जो भी टैंक इस रेंज में आते हो उन्हें ही ख़रीदे। इससे नीचे के GSM में भी आपको बायोफ्लॉक टैंक उपलब्ध हो जायेंगे मगर उनमे कटने-फटने का डर रहता है, जिससे आपको आगे चलकर नुकसान उठाना पड़ सकता है।

इसके साथ ही आपको तिरपाल की भी ज़रूरत पड़ेगी, जिससे तापमान नियंत्रित हो पाए और अवांछित तत्त्व भी आपके टैंक में न गिर सके। इसकी लागत करीब 1500-2000 रूपए तक आएगी।

इस तरह देखा जाये तो एक पूरी तरह सेटअप PVC biofloc tank में आप करीब 20,000 रुपए तक का निवेश करके मछली पालन का व्यापार शुरू कर सकते हैं।

सीमेंट टैंक: अगर आपको मछली पालन बिजनेस में थोड़ा समय हो गया है और आपने कुछ पैसे भी बना लिए हैं तो आप सीमेंट टैंक भी बनवा सकते हैं। इस प्रकार के टैंक बनवाने में तारपोलीन टैंक से दुगना खर्च करना पड़ सकता है, मगर यह एकमुश्त निवेश है। एक बार निर्माण हो जाने के बाद यह टैंक 10-12 साल आसानी से चल जाते है और रखरखाव में भी खर्च न के बराबर होता है। एक 10,000 लीटर सीमेंट टैंक के निर्माण में करीब 25,000 रूपए तक का खर्च आ सकता है।

इसके अलावा दोनों ही प्रकार के टैंक में एयर पंप चाहिए होगा जिससे की पानी में ऑक्सीजन की मात्रा सुचारू रूप से जारी रहे। एक 10,000 लीटर बायोफ्लॉक टैंक के लिए एयर पंप की कीमत लगभग 18,000 से शुरू होती है। हमेशा दो एयर पंप अपने साथ रखें, अगर किसी कारण से एक एयर पंप नहीं चलता है तो दूसरा बैकअप आपके पास ज़रूर होना चाहिए। क्योंकि, बिना ऑक्सीजन के मछलियों के मरने का भय रहता है।

साथ ही में एक इन्वर्टर की भी व्यवस्था होनी आवश्यक है, क्योंकि बहुत सारे इलाकों में बिजली आपूर्ति ठीक नहीं रहती अगर आपके पास इन्वर्टर रहेगा तो एयर पंप चलाने में परेशानी नहीं होगी।

इन सबके साथ फिश सीड, प्रोबिओटिक्स, TDS meter, PH meter, अमोनिया टेस्ट किट इत्यादि में 30,000 रूपए तक का खर्च आ सकता है। कुल मिलाकर, एक 10 हज़ार लीटर बायोफ्लॉक फिश टैंक का निर्माण से लेकर प्रोडक्शन तक करीब 40,000 से लेकर 50,000 रूपए तक का खर्च आएगा।

RAS प्रणाली

री-सर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (RAS) प्रणाली मछली पालन के लिए सबसे कारगर तकनीक है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है, किसी भी जलवायु और स्थान में मछली पालन करना। इसे आप मैदानी, तटीय और पहाड़ी किसी भी स्थान पर लगा कर मछली उत्पादन शुरू कर सकते हैं। चाहे बाहर का तापमान कुछ भी हो, टैंक का तापमान आपके नियंत्रण में रहता है।

मौसम में हुआ बदलाव पानी के तापमान को निर्धारित नहीं करेगा, और दैनिक पानी के तापमान में उतार-चढ़ाव मछली पर दबाव नहीं डालेगा, जिससे बीमारी और मृत्यु दर में कमी आएगी। चाहे गर्म पानी की मछली हो या फिर ठंडे पानी की, RAS सिस्टम दोनों ही प्रजातियों के लिए तापमान का नियंत्रण करता है। क्योंकि पानी को फिर से री-सर्कुलेट किया जाता है, जिस कारण हीटिंग और कूलिंग की लागत कम हो जाती है।

उदाहरण के लिए, बायोफ्लॉक सिस्टम में मछली का एक कल्चर लेने के बाद पानी को छोड़ देते हैं, जिसे आम तौर पर ओपन या फ्लो-थ्रू सिस्टम कहा जाता है। मगर, RAS प्रणाली में यह सिस्टम विभिन्न स्तरों पर फिल्टर का उपयोग करके पानी को साफ करता है और उसी पानी को फिर से उपयोग में लाता है। जिससे पानी की काफी बचत होती है और खर्च में भी कमी आती है।

एक 30,000 लीटर के RAS फिश टैंक की कीमत करीब 35-40 हज़ार रूपए होती है और पुरे फिल्ट्रेशन प्लांट को बनाने में करीब 15 से 20 लाख रूपए की लागत आती है। यह सिस्टम थोड़ा खर्चीला ज़रूर है मगर इससे मुनाफा भी तालाब और बायोफ्लॉक टैंक के मुकाबले ज़्यादा आता है। क्यूंकि, सभी काम ऑटोमेटिक तरीके से मशीन द्वारा होता है और बहुत कम मैन्युअल वर्क की ज़रूरत पड़ती है।

मछलियां कितने प्रकार की होती है?

सामान्यतः मछलियाँ 2 प्रकार की पाई जाती है पानी के अंदर सांस लेने वाली (Underwater breathing fish) और हवा से सांस लेने वाली (Air breathing fish).

हवा से सांस लेने वाली मछलियां ये हैं: देसी मांगुर, सिंघी, पंगेसियस, वियतनाम कोई, देसी कोई और पाबदा।

पानी के अंदर सांस लेने वाली मछलियां: रोहू, कतला, मृगल कार्प, ग्रास कार्प, सिल्वर कार्प, कॉमन कार्प, तिलापिया और रूपचंद।

बायोफ्लॉक और RAS टैंक में कौन सी मछली पालें?

बायोफ्लॉक और RAS टैंक में विशेष प्रकार से हवा से सांस लेने वाली मछलियों (Air breathing fish) का कल्चर किया जाता है, क्यूंकि ये मछलियां किसी भी प्रकार की परिस्थितियों को झेल लेती है।

जैसे की कभी टैंक का एयर पंप (Air Pump) जिससे पानी में ऑक्सीजन की मात्रा पहुंचाई जाती है किसी कारण नहीं चल रहा हो या फिर पानी में अमोनिया की मात्रा ज़्यादा हो जाए — तब भी इस प्रकार की मछलियां पानी के ऊपर जाकर सांस ले सकती है और उस सिचुएशन को झेल जाती है। जिससे मोर्टेलिटी रेट कम रहता है और मुनाफे में वृद्धि होती है।

वैसे तो IMC और एयर ब्रीथर दोनों ही प्रकार की मछलियों का कल्चर बायोफ्लॉक और RAS टैंक में किया जा सकता है, हालाँकि अगर आप इस बिज़नेस में बिलकुल नए हैं तो हवा से सांस लेने वाली मछलियां (Air breathing fish) के साथ शुरुआत करें और थोड़ा अनुभव हो जाने के बाद IMC मछलियां जिसमे रोहू, कतला, मृगल शामिल है इनका प्रयास करें।

बायोफ्लॉक और RAS टैंक में IMC fish जैसे रोहू, कतला और मृगल की ग्रोथ ज़रूर होती है मगर ये प्रक्रिया काफी समय लेती है, और किसी कारण ऑक्सीजन में कमी आयी तो ये मछलियां आधे घण्टे भी टैंक में जीवित नहीं रह पाती। अगर आप भी इन मछलियों को पालना चाहते हैं तो इस बात का ध्यान ज़रूर रखें की आपके एरिया में पावर सप्लाई नियमित रूप से आती हो या फिर एक अच्छे इन्वर्टर पर निवेश करें।

मछली पालन के लिए बीज कहाँ से ख़रीदे?

मछली के बीज आप अपने जिले या फिर राज्य के मत्स्य पालन विभाग (Department of Fisheries) के द्वारा ले सकते हैं, वहां पर मछली पालकों के लिए उचित दरों पर बीज मुहैया करवाया जाता है और साथ ही साथ ट्रेनिंग भी दी जाती है। इसके अलावा अगर आपके एरिया में कोई किसान पहले से मछली पालन कर रहा है और उसकी हैचरी भी है तो आप उनसे भी संपर्क करके बीज ले सकते हैं।

आमतौर पर मछली के बीज 200 रुपये से 250 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से मिलते हैं। आप चाहे तो फिश सीड पीस के हिसाब से भी आर्डर कर सकते है जो की 1 रुपया/पीस से लेकर 5 रुपया/पीस तक हो सकती है।

मछली कितने महीने में तैयार हो जाती है?

आमतौर पर मछलियाँ 5 से 6 महीने में लगभग 500 ग्राम तक की हो जाती है, मगर यह पूरी मछली की प्रजाति पर निर्भर करता है। कई मछलियाँ इतने दिनों में बस 150-200 ग्राम तक का ही वज़न हासिल कर पाती है।

चलिए हम एक उदाहरण के तौर पर विभिन्न प्रकार की मछलियों का “बीज से लेकर हार्वेस्ट” करने तक का विश्लेषण करते हैं:

आजकल ज़्यादातर किसान 10,000 लीटर बायोफ्लॉक टैंक से मछली पालन की शुरुआत कर रहें है तो हम उसी को मानक ले रहे हैं। अगर आप IMC कैटेगरी की मछली जैसे रोहू, कतला, कॉमन कार्प और तिलापिया को पालना चाहते हैं तो टैंक में आपको करीब 900-1000 मछलियां डालनी होगी। यह मछलियाँ 6 महीने में औसतन 500 ग्राम तक का वज़न हासिल कर पाती है और हार्वेस्टिंग के समय आपको एक टैंक से करीब 450-500 किलोग्राम तक की मछलियाँ मिलेगी।

यहाँ एक बात का ज़रूर ध्यान रखें, मछलियों में कुछ न कुछ मोर्टलिटी ज़रूर होगी इसलिए 20% के हिसाब से टैंक में 900 से 1000 मछलियां डाले जिससे अंत में आपका टारगेट हासिल हो पाए।

अगर आप कैटफ़िश प्रजाति की मछली जैसे वियतनाम कोई (Vietnam Koi) का कल्चर करना चाहते है और एक सीजन में कम से कम 300 किलोग्राम तक मछली का हार्वेस्ट करना है तो आपको टैंक में करीब 2000 से लेकर 2500 मछली डालनी होगी।

इस मछली का एवरेज साइज 150-200 ग्राम होता है, और यह लगभग 6 महीने में पूरी तरीके से तैयार हो जाती है। मार्केट में इसका रेट भी 300 से 500 रुपए प्रति किलोग्राम तक जाता है।

मछली पालन के लिए लोन कैसे मिलेगा?

केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाईं जा रही हैं, जिसका फायदा लेकर किसान भाई इस व्यवसाय से जुड़ सकते है और पैसे कमा सकते हैं।

अगर आप भी मछली पालन के लिए लोन लेना चाहते हैं तो “पीएम मत्स्य संपदा योजना (PMMSY)” के तहत ले सकते हैं। इसकी शुरुआत भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के द्वारा वर्ष 2020 में की गयी थी, इस योजना में मत्स्य पालकों को लोन देने के साथ ही निःशुल्क प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

इसके तहत केंद्र और राज्य सरकार दोनों की तरफ से आपकी परियोजना के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है, जो कि सामान्य जाति के लिए 40% है और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति महिलाओं के लिए 60% तक निर्धारित की गई है।

मत्स्य पालन हेतु ऋण लेने के लिए आप अपने राज्य के मत्स्य विभाग के कार्यालय से संपर्क करें। वहां पर सम्बंधित अधिकारी आपको लोन के लिए कैसे अप्लाई करना है और लोन किस तरह से प्राप्त होगा इसकी पूरी जानकारी दे पाएंगे। यह प्रक्रिया पूरी तरह ऑफलाइन है, और फिलहाल ऑनलाइन आवेदन के लिए संबंधित विभाग से कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई है।

हालांकि, अगर आप इस योजना के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं तो पीएम मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) की आधिकारिक वेबसाइट पर जायें – https://dof.gov.in/pmmsy

FAQ: Fish Farming Business Plan

Q. मछली पालन के लिए पानी का pH मान कितना होना चाहिए?
Ans. मछली पालन के लिए पानी का pH मान 6.5 से 8.5 तक होना चाहिए।

Q. मछली कितने दिन में तैयार होती है?
Ans. मछली को सामान्यतः पूरी तरह विकसित होने में करीब 5 से 6 महीने तक का समय लगता है।

Q. देश का सबसे बड़ा मछली जीरा बाजार कहाँ है?
Ans. भारत में मछली पालन के लिए जीरा का उत्पादन सबसे ज़्यादा पश्चिम बंगाल में होता है।

Q. मछली पालन बिज़नेस के लिए कितना निवेश करना पड़ेगा?
Ans. इस बिजनेस को आप मात्र 20,000 रुपये सालाना खर्च करके शुरू कर सकते हैं और हर महीने लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं।

Q. मछली पालन किस सीजन में करना चाहिए?
Ans. वैसे तो मछली पालन किसी भी मौसम में किया जा सकता है, मगर मछली पालने के लिए सबसे अच्छा सीजन फ़रवरी से अक्टूबर तक होता है। सर्दियों के मौसम में मछली का आकार धीमी गति से बढ़ता है क्योंकि उस समय मछलियां पानी के नीचे चली जाती है और खाना भी कम खाती है।

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